ASHOK BENIWAL SALWA KALLAN
सोमवार, 20 अगस्त 2012
शनिवार, 18 फ़रवरी 2012
2012
मैं अशोक बेनीवाल आपका २०१२ में हार्दिक स्वागत करता हूँ
पढ़ाई क्या है? वो क्रिया जिसमें किताब को सामने रखके एक साथ टेक्सट मैसेज और फोन कॉल किए जाते हैं या खाना खाते हुए टीवी देखा जाता है।
अच्छो दोस्त जितनी बार भी रूठे उन्हें मना लेना चाहिए क्योंकि वो हमारे सारे राज जानते हैं।
एक स्मार्ट व्यक्ति को सभी नियम पता होते हैं ताकि वो उन्हें समझदारी से तोड़ सके।-लुबना आजमी
यदि तुम्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि तुम कहां हो तो घबराने की कोई बात नहीं है, तुम खोए नहीं हो।

अच्छो दोस्त जितनी बार भी रूठे उन्हें मना लेना चाहिए क्योंकि वो हमारे सारे राज जानते हैं।
जितना व्यापक तुम्हारा शौध होगा उतने ही कम लोग उसे समझेंगे।
तुम्हारे पास दो ही विकल्प हैं कुंवारे रहे और शादी के बारे में सोचते रहे या शादी करलो और मरने के बारे में सोचते रहो...।
सबकुछ तब तक मजेदार लगता है जब तक वो दूसरे के साथ होता है।
पहले प्रयास में नाकामी नाकाम लोगों से सलाह को खुला आमंत्रण है।
शराब पीने की लत एकमात्र ऐसी बीमारी है जिसमें आप खुद को कभी बीमार नहीं समझते हैं।
दुनिया में 80 प्रतिशत लोग स्वयं को दूसरे से बेहतर और औसत से अधिक बुद्धिमान समझते हैं।
वैधानिक चेतावनीः शराब पीने से आपको यह भ्रम हो सकता है कि आपकी पूर्व गर्लफ्रैंड आपके फोन का बेसब्री से इंतेजार कर रही है।
सन्देश
मुंह खोलकर अपनी मूर्खता साबित करने से शांत रहकर मूर्ख दिखते रहना बेहतर है।
एक स्मार्ट व्यक्ति को सभी नियम पता होते हैं ताकि वो उन्हें समझदारी से तोड़ सके।-लुबना आजमी
अगर आप एक बार में सफल नहीं होते तो दोबारा प्रयास करो, फिर भी न हों तो एक बार फिर प्रयास करो और उसके बाद प्रयास करना छोड़ दो और कुछ नया करो, लगातार पागल बनते रहना समझदारी नहीं है।
अपने दुश्मनों को माफ कर दो--यदि उनतक पहुंचने का... तुम्हारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है तो।-फ्रैंकलिन पी जोंस
निज स्वार्थों एवं महान उद्देश्यों की प्राप्ति एक साथ संभव नहीं। फैसला आपका निज स्वार्थ या महान उद्देश्य
बिना शिक्षा और संगठन के कोई भी समुदाय अपने उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर सकता। चाहे वो संख्या में कितने भी अधिक क्यों न हों।
दूसरे मौके का मतलब हमेशा सुखांत नहीं होता। कभी-कभी यह चीजों को सही से समाप्त करने का एक और मौका होता है।
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डिक्शनरी ऐसी एकमात्र जगह है जहां काम (work) से पहले कामयाबी (success) आती है।
यदि तुम्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि तुम कहां हो तो घबराने की कोई बात नहीं है, तुम खोए नहीं हो।
दो सप्ताह पहले टाइम ट्रैवल पर सेमिनार है। जरूर आइएगा।
पुरुष अपना मतलब निकालने के लिए सेक्स का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं। सेक्स ही तो उनका मतलब है।
शांति का नोबेल पाने की चाह ऐसी है कि लोग इसके लिए हत्याएं तक कर सकते... हैं।
वो कहते हैं शराब धीरे-धीरे जान लेती है। वैसे फर्क किसे पड़ता है, मरने की जल्दी भी किसे है।
56 प्रतिशत लड़कियों के पास कंडोम होता है, बाकी 44 प्रतिशत के पास बच्चे।
मैं तब तक काम करने का नाटक करता रहूंगा जब तक वो मुझे सैलरी देने का नाटक करते रहेंगे।
सेक्स सॉफ्टवेयर की तरह है, एक कीमत चुकाता है तो सैंकड़ों फ्री में मजा लूटते हैं।
पागलपन क्या है? अलग-अलग नतीजों की चाह में एक ही क्रिया को बार-बार करना (आप क्रिया का मतलब सेक्स ही समझे होंगे)
छोटी सोच वालों की जीभ अक्सर बड़ी होती है।
कपड़े हो गये है छोटे , शर्म कहाँ से होगी । अनाज हो गया हाइब्रिड , स्वाद कहां से होगा ॥ नेता हो गये कुर्सी के , देश भावना कहां से होगी । फूल हो गये प्लास्टिक के , खूशबू कहां से होगी ॥ चेहरे हो गये मेकअप के , रूप कहां से होगा । अध्यापक हो गये ट्यूशन के , विद्या कहां से होगी ॥ खाना हो गया डालडा का , ताकत कहां से होगी । प्रोग्राम हो गये केबल के , संस्कार कहाँ से होगे ॥ आदमी हो गया पैसों का , दया कहाँ से होगी । भक्त हो गये स्वार्थ के , ईश्वर कहां से होगा ॥ व्यापार हो गया हेराफेरी का , मुनाफा कहाँ से होगा । व्यवहार हो गये टेलीफोन के , शर्म कहां से होगी ॥
रविवार, 2 अक्टूबर 2011
शुक्रवार, 30 सितंबर 2011
" पर्यावरण बचाओ "
एक आदमी एक दिन में इतनी ऑक्सीजन लेता है जितने में 3 ऑक्सीजन के सिलेंडर भरे जा सकते हैं| एक ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत होती है रु.700 इस तरह हम देखते हैं कि एक आदमी एक दिन में रु.2100 (700X3) की ऑक्सीजन लेता है और 1 साल में रु.766500 कि और अपने पूरे जीवन (अगर आदमी कि उम्र 65 साल हो) में लगभग रु. 5 करोड़ का ऑक्सीजन लेता है जो कि पेड़-पौधों द्वारा हमे मुफ्त में मिलता है और हम उन्ही पेड़ पौधों को समाप्त कर रहे हैं| SPREAD THIS MESSAGE AS MUCH AS YOU CAN. SAVE TREES! SAVE FUTURE!
अशोक बेनीवाल सालवा कलां
शुभ रात्रि फ्रेंड्स
बेनीवाल की कलम से........
दोस्तों गाय को घास खिलाने से कष्ट दूर होते हैं, पंछियों को दाना डालने से रोजगार अच्छा चलता है, कुत्तों को रोटी देने से दुश्मन दूर भागते है, ... चींटियों को आहार देने से कर्जमुक्त रहते हैं, मछलियों को आटा गोली चुगाने से समृधि आती है और - - - - - - - - - - -
कांग्रेस को वोट देने से सब किया कराया गुड गोबर हो जाता है!!!!!!!
-अशोक बेनीवाल सालवा कलां
वीर दुर्गादास राठौङ
॥जय जय राजस्थान॥
"जय सालवा कलाँ"
"धरती धोराँ री, मीठे गीतोँ री, रणवीरोँ री शूरवीरोँ री।
... अटे खून सस्तो है पण पाणी मँहगोँ है।
शीश कट्या धङ लङ्या आ शान है राजस्थान री, अमरसिँह, वीर दुर्गादास राठौङ सरीके वीरोँ री।
आ धरती है भक्ति मे तपीयोङी मीराँ री सगळी दुनिया बोल रही कि आ धरती है बलिदान री॥
"इलां न देणी आँपणे माँ हालरिये हुलराय, पूत सिखावे पालणे मरण बङाई माँय"
मेरी कलम से....
वीर, साहसी, बलिदानीँ, स्वामीभक्त का जन्म 13 अगस्त 1638 मे मारवाङ के 'सालवा' (वर्तमान मे सालवा कलाँ है) ग्राम मे हुआ था। इनके पिता का नाम आसकरण था जो जोधपुर के महाराजा जसवंतसिँह के मन्त्री थे
आसकरण जी के तीन पत्नियाँ थी इनके पिता ने मनमुटाव के कारण दुर्गादास और इनकी माँ का परित्याग कर दिया और उनको एक छोटे से गाँव 'लूनवा' मे भेज दिया।
दुर्गादास और उनकी माँ गाँव मे रहते हुए खेती बाङी कर जीवन का गुजारा करने लगे। आसकरण जी का अब उनका कोई सबँन्ध नही था।
इनकी माँ ने मारवाङ और राजवंश के प्रति भक्ति भावना कूट कूट कर भर दी।
वीर दुर्गादास राठौङ बचपन से ही साहसी और निडर थे
एक समय की बात है दुर्गादास अपने खेत रहे थे तभी एक 'राइका' पशु चराने वाले ने उनके खेत मे ऊँट चरा दिये। दुर्गादास ने उसको खेत मे पशु चराने के लिए मना किया लेकिन उस रेबारी ने राजा जसवंत सिँह तथा जोधपुर राज्य के लिए अपमानजनक शब्दो का प्रयोक किया तथा उनको गालियाँ दी।
इस घटना से क्रोध मे आकर दुर्गादास ने उस राइका को मार डाला।
समस्त देश बन्धुओँ को यह सन्देश दिया जाता आप भी अपने साहस और संयम का परिचय देवेँ।
आप भी निडर होकर ईँट का जवाब पत्थर से देना सीखो।
धन्यवाद
प्रस्तुतकर्ता :
अशोक बैनिवाल
नवयुवक मण्डल सालवा कलाँ जोधपुर
॥जाटाँ दी शान॥ प्रिय दोस्तो धरती माता का सच्चा पुत्र जाट होता है अरे वो इस धरती पर अन्न उगाता है न तो वो सर्दी देखता है न ही गर्मी, बस अपनी धुन मे लगा रहता है जब से बरसात का सिलसिला शुरु होता है वो इस सुर्य की तेज गर्मी मे अपने खेतोँ मे जाकर काम शुरु करता है सर्वप्रथम वो खेत मे जाकर अपनी भूमि को उपजाऊ बनाता है फिर बीज बोता है उसके बाद खरपतवार जिसे स्थानीय भाषा मे निनाण कहा जाता है उसके बाद फसल को काटा जाता है अर्थात जाट जी तोङ मेहनत करता है इसलिए मातृभूमि का सच्चा पुत्र जाट ही होता है जय जाट समाज
प्रस्तुतकर्त्ता:
अशोक चौधरी नवयुवक मण्डल सालवा कलाँ
जय जाट समाज सालवा कलां
''जाट तो जाट'' होते हे,
वक्त पर तलवार की धार होते हे, दिल लगाने पर दिलदार होते हे..!
कोई शक हो तो किसी से भी पूछ लो, 'जाट तो यारो के भी यार' होते हे..!!
जय जाट की, गर्व से कहो:- हम 'जाट' हे, जाट एकता जिन्दाबाद........!!!
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