जय भोमियाजी महाराज की जय हो !
मेरे पिताजी के बड़े भाई भंवरलाल जी बेनीवाल थे जिनका सालवा कलां में बेनीवालो की ढाणी में मंदिर बना हुआ है यह मंदिर भंवरलाल जी भोमिया जी महाराज के नाम से विख्यात हैं
इस मंदिर में प्रत्येक महीने की शुक्ल त्रयोदशी को धुप किया जाता है यहाँ इस दिन कई श्रदालु आते हैं और खुश होकर जाते हैं अभी कुछ महीने पहले यहाँ मंदिर निर्माण करवाया हैं
हमारे गाँव में ३६ जाती के लोग रहते हैं जिसमे मेरे पड़ोस में जाखड, गोदारा , तांडी, थोरी ,राठोड़, रहते हैं
हमारे गाँव का जाट समाज बहुत बड़ा समाज हैं हमारे गाँव में बहुत बड़ा समाज भवन बना हुआ हैं
अशोक चौधरी इस गाँव के निवासी हैं जो बेनीवाल परिवार में जन्मे हुआ हैं
इनका जन्म ३० अगस्त १९९४ में हुआ था इनके दादा का नाम लाखाराम जी बेनीवाल था इनके दादा बहुत ही साहसी पुरुष थे वे जो काम सोचते थे उस काम को पूरा किये बिना उनको चैन नहीं मिलता था
वे बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति थे जिस समय लोग अंग्रेजी के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे उस समय लाखाराम जी को अंग्रेजी का बहुत ज्ञान था वे खाली समय में केवल अंग्रेजी की पुस्तकें पढ़ते थे
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